لاَ إِلَـٰهَ إِلاَّ اللَّهُ وَحْـدَهُ لاَ شَـرِيْكَ لَـهُ ، لَـهُ الْمُـلْكُ وَلَهُ الْحَمْـدُ ، وَهُوَ عَلَـى كُلِّ شَـيْ ءٍ قَدِيرٌ، لاَ حَـوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلاَّ بِا للَّهِ ، لاَ إِلَـٰهَ إِلاَّ اللَّهُ ، وَلاَ نَعْـبُدُ إِلاَّ إِيَاهُ ، لَـهُ النِّعْمَةُ وَلَـهُ الْفَضْـلُ ، وَلَـهُ الثَّنَاءُ الْحَسَـنُ ، لاَ إِلَـٰهَ إِلاَّ اللَّهُ مُخْلِصِـيْنَ لَـهُ الدِّيْنَ وَلَوْ كَرِهَ الْكَافِـرُونَ
Pronunciation
Laa ilaha illal-lah;
Wah dahu laa-sharee kalah;
Lahul mulku wa-lahul hamd;
Wa-huwa ala kulee shay'in qadeer;
Laa-haw’la wa-laqu’ata illah billah;
Laa-ilaha illallah;
Wala na'budu illa iy'yah;
Lahun-ni'matu wa-lahul fadl;
Wa-lahuth thanaa'ul hasan;
Laa-ilaha illallahu mukh’liseena lahud deen;
Wa-law kari’hal kafiroon.
ला इलाह इल्लल्लाहु वहदहु ला शरी-क लहु, लहुल मुल्कु व लहुल हम्दु व हुव अला कुल्लि शैइन क़दीर, ला हौ-ल वला क़ुव्वत इल्ला बिल्लाहि, ला इलाह इल्लल्लाहु, व ला नअ-बुदु इल्ला इय्याहु, लहुन निअ-मतु व लहुल फ़ज़लु, व लहुस सनाउल ह-सनु, ला इलाहा इल्लल्लाहु मुख्लिसीना लहुद्दीना वलौ करिहल काफ़िरून
Translation
None has the right to be worshipped except Allah, alone, without partner, to Him belongs all sovereignty and praise and He is over all things omnipotent. There is no might nor power except with Allah, none has the right to be worshipped except Allah and we worship none except Him. For Him is all favor, grace, and glorious praise. None has the right to be worshipped except Allah and we are sincere in faith and devotion to Him although the disbelievers detest it.
तर्जुमा: अल्लाह के इलावा कोई सच्चा माबूद नहीं वह एकेला है उसका कोई शरीक नहीं, उसी के लिये बादशाहत हे, और उस के लिये तमाम तारीफ़ात और वह हर चीज़ पर क़ादिर हे, अल्लाह की तौफ़ीक़ और मदद के बगैर, गुनाह से बचने की ताक़त और नेकी करने की क़ुव्वत नहीं, अल्लाह के इलावा कोई सच्चा माबूद नहीं, हम उस की इबादत करते हैं, उसी के लिये फ़ज़्ल हे और बेहतरीन तारीफ़ उसी के लिये हे, अल्लाह के इलावा कोई सच्चा माबूद नहीं, हम उसी के लिये इबादत को ख़ालिस करने वाले हैं अगरचे काफ़िरों को ना पसंद हो।
Benefit
On the authority of Abdullah bin Az-Zubair r.a, the Prophet ﷺ used to say this Dua at the end of the prayer, after making the Taslim.
Sahih Muslim 594
Reference
Sahih Muslim 1/415