FAQ about the Friday Prayers
शुक्रवार की प्रार्थना के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न। हिंदी में
अस्सलाम O अलैकुम दोस्तो मेरा नाम है अरशद हुसैन, और आज मै कोशिश करूंगा जुमाह कि नमाज के बारे में गैर मुस्लिम भाइयों कि तरफ से अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब देने कि, अगर ये पोस्ट आपको informative लगे तो अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे। चलिए देखते है वो सवाल कोन से है।
जुमा क्या है ?
शुक्रवार (अरबी में जुमाह) मुसलमानों के लिए पाक दिन है। जुमुआह एक ही मूल शब्द से आया है जो इकट्ठा और मण्डली के रूप में है। शुक्रवार को, मुसलमान दोपहर में एक विशेष नमाज़ में शामिल होते है जिसे जूमे की नमाज़ कहा जाता है। अल्लाह रब्बुल इज्जत ने कुरान में जुमे कि नमाज़ का हुक्म दिया है:
“ऐ लोगो जो ईमान लाए हो, जब पुकारा जाए नमाज़ के लिये जुमा के दिन तो अल्लाह के ज़िक्र की तरफ़ दौड़ो और ख़रीद और बिक्री छोड़ दो,ये तुम्हारे लिये ज़्यादा बेहतर है अगर तुम जानो। (क़ुरआन 62:9)
हालांकि ज्याद तर मुस्लिम मुमालिक देशों में जुमाह का दिन सप्ताहांत(वीकेंड) का हिस्सा होता है, लेकिन इसे सब्त का दिन नहीं माना जाता है जिसमें मुसलमान काम नहीं कर सकते हैं या स्कूल नहीं जा सकते हैं। जलिये कुरान कि अगली आयत पर रोशनी डालते है:
और जब नमाज़ पूरी हो जाए, तो ज़मीन में फैल जाओ और अल्लाह के फ़ज़्ल की तलाश करो, और अल्लाह को ज़्यादा याद करो, ताकि तुम कामयाब हो जाओ (क़ुरआन 62:10)।
NOTE: अगर आर्टिकल में कोई गलती हो जाए तो हमे जरूर बताएं। उसे हम सुधार देंगे या डिलीट कर देंगे।
जुमाह का क्या महत्व है?
जुमाह को सप्ताह का सबसे पाक दिन माना जाता है। हदीस शरीफ़ में है, पैगंबर मुहम्मद सल्लाह हो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया "सबसे अच्छा दिन जिस पर सूरज उगता है वह जूमाह है। जूमाह के दिन ही आदम को पैदा किया गया, और उसी दिन उसे जन्नत में दाखिल किया गया और उसी दिन उसे वहां से निकाल दिया गया।” (सही मुस्लिम)। एक और हदीस में अन्य , नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फरमाया कि कयामत भी शुक्रवार को कायम होगा। नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह भी कहा: "रोज़ पांच वक्त की नमाज़ और एक जुमा से अगले जुमाह तक जो भी गुनाह उनके बीच आते हैं,कबीरा गुनाहों (बड़े गुनाह) को छोड़ कर सब माफ हो जाते है।" (सही मुस्लिम)। मुसलमानों को जूमाह की सुबह गुस्ल (स्नान) करने और अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनने को अच्छा माना जाता है।
जूमाह की नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है?
जूमेह कि नमाज़ में कुल 14 रकात होते है, सब को 4 रकात सुन्नत
नमाज अजान के बाद अदा करना होता है,फिर मस्जिद के इमाम एक मिंबर पर बैठ कर तकरीर(उपदेश) करते है।
तकरीरों (उपदेशों) के विषय आमतौर पर आध्यात्मिक अनुस्मारक, वर्तमान घटनाओं, सामाजिक मुद्दों और परिवार के इर्द-गिर्द घूमते है।
उसके बाद इमाम साहब खुतबा(अल्लाह कि हम्द ओ सना) देते है, और खुतबे के दौरान सब को बैठ कर शांति से खुतबे को सुनना होता है। खुतबे के खत्म होने के बाद सब लोग
इमाम साहब के पीछे 2 रकात फर्ज़ नमाज जुमेह कि अदा करते है।
उसके बाद सब अलग होकर अपनी बाकी कि 6 रकात सुन्नत और 2 रकात नफल जुमेह कि नमाज अदा करते है।
शुक्रवार की प्रार्थना किस समय है?
शुक्रवार (जुमेह)की प्रार्थना(नमाज़) हमेशा दोपहर में होती है। यह दोपहर की प्रार्थना(जोहर कि नमाज़) की जगह लेता है। पश्चिम की कई मस्जिदों में नमाज़ अदा करने का समय निश्चित है। ज्यादातर मस्जिदों में नमाज आमतौर पर दोपहर 12-3 बजे के बीच हो जाती है।
प्रार्थना (जुमेह कि नमाज) कितनी लंबी होती है?
हालांकि प्रत्येक मस्जिद अलग है, शुक्रवार की प्रार्थना के उपदेश( तकरीर) आमतौर पर 30-45 मिनट के बीच रहते हैं। इसके बाद एक छोटी प्रार्थना होती है जो 5-10 मिनट तक चलती है।
क्या मुस्लिम छात्रों और कर्मचारियों को शुक्रवार को विशेष आवास की आवश्यकता है?
क्योंकि जुमेह की नमाज़ दोपहर के समय होती है, यह कभी-कभी काम या स्कूल के कार्यक्रम के साथ संघर्ष करती है। हालाँकि कुछ लोग नमाज़ में शामिल होने के लिए अपने दोपहर के भोजन के समय का उपयोग कर सकते हैं, कुछ को स्कूल या नियोक्ता से विशेष आवास की आवश्यकता हो सकती है ताकि वे नमाज़ में शामिल हो सकें। कुछ कार्यस्थल या विश्वविद्यालय जिनमें अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है, अपने कर्मचारियों को साइट पर अपनी स्वयं की प्रार्थना सेवाओं का आयोजन करने की अनुमति देते हैं।
क्या सभी मुसलमानों को नमाज़ में शामिल होना ज़रूरी है?
हर बालिग मुस्लिम मर्द पर दिन में पांच वक्त और जुमेह कि नमाज़ फर्ज़ (जरूरी) है। कई मुस्लिम मुमालिक कि मस्जिदों में बच्चे और औरते भी जुमेह कि नमाज़ के लिए जाती है, पर औरतों और बच्चों जूमेह कि नमाज फर्ज़ नही है।
क्या गैर-मुस्लिम शुक्रवार की नमाज़ में शामिल हो सकते हैं?
शुक्रवार की प्रार्थना(नमाज़) एक मुस्लिम prayer है और उपदेश विषय आमतौर पर मुस्लिम दर्शकों के लिए निर्देशित होते हैं। यदि आप प्रार्थना में भाग लेने में रुचि रखते हैं,तो शुक्रवार की नमाज में शामिल होने के लिए गैर-मुस्लिमों का स्वागत है।
Conclusion
उम्मीद है इस पोस्ट में आपको नमाजे जुमाह के मुतलिक काफ़ी जानकारी मिली होगी और अपने सवालों के जवाब भी मिले होंगे। और इसी तरह कि Interesting और Informative आर्टिकल के लिए जुड़े रहे हमारी वेब साइट: muslimscholarsorg.blogspot.com से।
इनशाह अल्लाह फिर मुलाकात होगी किसी टॉपिक के साथ।
तब तक अपना और अपने गिर्दों नवाह के लोगों का खयाल रखिए खुदा हाफ़िज़।