सही बुखारी शरीफ़|SAHIH AL BUKHARI IN HINDI VOLUME 0 ,HADITH #4
आप (सल्ल०) ने वह्य के रुक जाने के ज़माने के हालात बयान फ़रमाते हुए कहा कि एक दिन में चला जा रहा था कि अचानक मैंने आसमान की तरफ़ एक आवाज़ सुनी और मैंने अपना सिर आसमान की तरफ़ उठाया। क्या देखता हूँ कि वही फ़रिश्ता जो मेरे पास ग़ारे-हिरा मैं आया था वो आसमान और ज़मीन के बीच में एक कुर्सी पर बैठा हुआ है। मैं उससे डर गया और घर आने पर मैंने फिर कम्बल ओढ़ने की ख़ाहिश ज़ाहिर की। उस वक़्त अल्लाह पाक की तरफ़ से ये आयात नाज़िल हुईं। ऐ लिहाफ़ ओढ़ कर लेटने वाले! उठ खड़ा हो और लोगों को अज़ाबे-इलाही से डरा और अपने रब की बड़ाई बयान कर और अपने कपड़ों को पाक साफ़ रख और गन्दगी से दूर रह। उसके बाद वह्य तेज़ी के साथ पै दर पै आने लगी। इस हदीस को यहया-बिन-बुकैर के अलावा लैस-बिन-सअद से अब्दुल्लाह-बिन-यूसुफ़ और अबू-सालेह ने भी रिवायत किया है। और अक़ील के अलावा ज़ोहरी से हिलाल-बिन-रवाद ने भी रिवायत किया है। यूनुस और मअमर ने अपनी रिवायत में लफ़्ज़ ( فواده ) की जगह ( بوادره ) नक़ल किया है।
BOOK किताबे-वह्य के बयान में
BAAB वह्य की शुरुआत
VOLUME 0
HADITH #4
Status: صحیح