ईसाई धर्म vs इस्लाम - समानताएं और अंतर|Christianity vs. islam - Similarities and Differences

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 ईसाई धर्म vs इस्लाम - समानताएं और अंतर|Christianity vs. islam - Similarities and Differences


अस्सलामु अलैकुम दोस्तों मेरा नाम है, अरशद हुसैन आज हम जानेंगे इस्लाम और ईसाई मज़हब समानताएं और अंतर के बारे में,ये बहुत Interesting और Informative पोस्ट है।जानने के लिए पूरा पढ़ें!


ईसाई मज़हब और इस्लाम के बीच समानताएं


ईसाई मज़हब और इस्लाम दुनिया के दो सबसे बड़े मजहब हैं, और इनमे कई समानताएं और फर्क भी हैं। 


इस्लाम मज़हब के मानने वालों को मुसलमान कहा जाता है, और दुनिया में मुसलमानों कि आबादी लगभग 2 अरब है।


ईसा मसीह की शिक्षाओं (तालीम) को मानने वाले लोग ईसाई कहलाते हैं और आज दुनिया में करीब 2.4 अरब ईसाई हैं।


ईसाई मज़हब और इस्लाम के बीच समानताएं


ईसाई मजहब और इस्लाम में क्या समानताएं हैं?    


पहले तो ऐसा लगता है कि दोनों मज़हब बहुत अलग हैं, लेकिन ईसाई मज़हब और इस्लाम के बीच कई समानताएं हैं। दोनों मजहबों का आगाज़ मशरीक वस्ती (middle east) में हुआ था। ईसाई मानते हैं कि ईसा मसीह खुदा के बेटे हैं, का जन्म 2000 साल पहले बैथलैम में मशरीक वस्ती (middle east) में हुआ था। मुसलमानों का मानना ​​है कि इस्लाम का आगाज़ 1400 साल पहले मक्का में हुआ था, जिसे आज सऊदी अरब के नाम से जाना जाता है।


ईसाई और मुसलमान मानते हैं कि सिर्फ एक ही खुदा है। मुसलमान और ईसाई भी मानते हैं कि सभी इंसान खुदा की तखलिक (creation) हैं। दोनो मजहब monotheistic है, इसका मतलब है कि दोनों मजहब एक खुदा को ही मानते हैं । ईसाई और मुसलमान मानते हैं कि उनके खुदा का पैगाम उन्हें पैगंबरों के ज़रिए से मिला था, दोनों मानते हैं कि यीशु एक पैगंबर थे जिन्होंने चमत्कार किए थे!



ईसाई मजहब और इस्लाम के बीच एक और समानता यह है कि दोनों मज़हब इब्राहीमी मज़हब हैं - जिसका मतलब है कि वे पैगंबर इब्राहीम के खुदा कि इबादत करते है। एक और समानता यह है कि दोनों मजहबों की नसब अब्राहम के दो औलादों से हुई है। यहूदियों और ईसाइयों कि नसब उनके दूसरे बेटे इसहाक से है, लेकिन मुसलमानों का सिलसिला ए नसब उनके बड़े बेटे इस्माइल से है।


Note: इस्लाम और ईसाई मज़हब की तरह यहूदी भी इब्राहिमी मज़हब है




ईसाई मज़हब और इस्लाम के बीच अन्य समानताएं हैं:


वे दोनों मानते हैं कि उनके मजहब का पालन करना उनके लिए अच्छा है क्योंकि यह सद्भाव और शांति(peace) पैदा करता है।


दोनो मजहब यकीन रखते है शैतान(satan) के वजूद पर जो लोगों को भटकता है,गुनाह की तरफ माइल करता है, और खुदा से दूर करने की कोशिश करता है।


दोनो मज़हब का यकीन है, स्वर्ग और नरक के वजूद पर


ईसाइयों और मुसलमानों का मानना ​​है कि शरीर पाक है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।


वे यह भी मानते हैं कि यीशु का जन्म कुंवारी मरियम से हुआ था।


वे दोनों मानते हैं कि परिवार उनकी मान्यताओं का आधार है, और इसका समाज पर बड़ा असर पड़ता है।


मुसलमानों और ईसाइयों का मानना ​​है कि खुदा कि फर्माबरदारी करने से लोगों में शांति और सद्भाव पैदा होता है, और यकीन रखते है मरने के बाद जिंदा कर के उठाए जाने पर ।


दोनों मजहबों का मानना ​​है कि यीशु वापस उतारें जायेंगे असमान से।


दोनों मजहब यकीन रखते है अखीरत(मरने के बाद उठाए जाने पर) की जिंदगी पर।


ईसाई मज़हब का मानना ​​है कि इंसान के लिए न्याय (judgement day) का एक दिन मुकर्रर है, और जमीन पर उनके गुजारी हुई जिंदगी का इंसाफ किया जाएगा। ईसाइयों के लिए, उस दिन तैय किया जायेगा की वे हमेशा के लिए स्वर्ग या नरक में जाएंगे । मुसलमान मौत के बाद की जिंदगी को अखिराह कहते हैं - वे अपनी कब्रों में दुनिया के अंत (कयामत) तक रहेंगे जब तक इंसाफ (judgement day) का दिन न आ जाए । वे अल्लाह (God) के सामने आएंगे और अगर उन्होंने जिंदगी में नेकी की होगी तो वे जन्नत (स्वर्ग) में जाएंगे, लेकिन अगर उन्होंने जिंदगी में बुराई कि होगी (नरक) में जाएंगे।


ईसाई मजहब और इस्लाम में क्या फ़र्क हैं?




दोनों मज़हब के दरमिया कई फ़र्क हैं। यहाँ आप अहम फ़र्क देख सकते हैं:


एक अहम फ़र्क यह है कि ईसाई मज़हब की शुरुआत ईसा मसीह की जिंदगी, तालिमत(शिक्षाओं), वफात (मृत्यु) और पुनरुत्थान (resurrection),पर हुई है और जो इसका पालन करते हैं उन्हें ईसाई कहा जाता है। जबकि, मुसलमानों का मानना ​​है कि खुदा का पैगाम इस्लाम की शिक्षाएं (तालिमात) पैगंबर मुहम्मद (पीस बी अपॉन हिम) ने दुनिया को सिखाई। मुहम्मद (पीस बी अपॉन हिम) को आखरी पैगंबर माना जाता है जिन्होंने अल्लाह के कानून को सिखाया और फरिश्ते जिब्रील के जरिए इस्लाम का खुलासा किया।


इस्लाम यीशु को एक मसीहा के रूप में देखता है, जिसे बनी इस्राएल के औलादों की रहनुमाई करने के लिए भेजा गया था और वह खुदा का पैगंबर था, न कि खुदा का बेटा। जबकि, ईसाई ईसा को हिब्रू धर्मग्रंथ (एक धार्मिक ग्रंथ) का मसीहा और खुदा का बेटा मानते हैं। मुसलमानों का मानना ​​है कि अल्लाह (God) यीशु और मुहम्मद (पीस बी अपॉन हिम) जैसे पैगम्बर के जरिए से जमीन पर अपना पैगाम भेजता है, और सभी पैगंबरों का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन इबादत नहीं की जानी चाहिए। यहाँ अहम फ़र्क यह है कि मुसलमान यीशु को एक इंसान और पैगंबर के रूप में देखते हैं, और यह नहीं मानते कि यीशु खुदा है।


ईसाई मज़हब और इस्लाम के भी अलग-अलग शास्त्र हैं, जो एक मजहबी किताब के लिए दूसरा शब्द है। मुसलमान कुरान का पालन करते हैं, लेकिन ईसाई बाइबिल का पालन करते हैं।


पवित्र आत्मा पर मजहबों की अलग-अलग मान्यताएं हैं। ईसाई मानते हैं कि पवित्र आत्मा खुदा है, लेकिन मुसलमानों का मानना ​​​​है कि पवित्र आत्मा जिब्राइल फरिश्ते को कहते है।


इसी तरह, ईसाई त्रिदेव के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। इसका मतलब , है कि परमेश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रूप में एक साथ मौजूद है। इस्लाम में खुदा एक है अल्लाह जो सच्चा रब है, वही इबादत के लायक है।


Conclusion 


दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको इस पोस्ट में इस्लाम और ईसाई मज़हब के बारे में काफ़ी कुछ जानने को मिला होगा। इंशाअल्लाह हम इसी तरह कि Informative पोस्ट लाते रहेंगे। जुड़े रहिए हमारे वेब साइट muslimscholarsorg.Blogspot.com से।

और हां अगर पोस्ट अच्छी लगे तो इससे शेयर करना ना भूले।फिर मिलेंगे जबतक अपना और अपने गिरदो नवाह के लोगों का ख्याल रखिए । अस्सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातहू।







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