तहज्जुद की नमाज कैसे पड़े – 2022 Tahajjud Ki Namaz Kaise Padhte Hain | हिन्दी में

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 Tahajjud Ki Namaz Kaise Padhte Hain | तहज्जुद की नमाज कैसे पड़े – 2022



अस्सलामु अलैकुम, दोस्तों मेरा नाम है अरशद हुसैन और आज हम इस पोस्ट में सीखेंगे तहज्जुद की नमाज़ अदा करने का तरीक़ा और साथ ही कुछ और बातें। और मै इंशाहअल्लाह कोशिश करूंगा कि आपको तहज्जुद नमाज़ की सारी जानकारी दें सकूं,इसलिए इस पोस्ट को पूरा पढ़े। अगर पोस्ट अच्छी और Infirmative लगे तो अपने दोस्तों से भी शेयर करे ताकी आपको और मुझे भी सवाब मिले।


दोस्तों सबसे पहले जानते है कि तहज्जुद कि नमाज है क्या?


 दोस्तों ये एक नाफिल नमाज़ है, और ये नमाज़ दूसरी नाफिल नमाजों से बेहतर है,


क्यूकि हमारे प्यारे नबी हुज़ूर सलल्लाहो अलैहि वसल्लम ये नमाज़ पढ़ा करते थे, और दोस्तों आपको ये भी जानना जरूरी है कि नाफिल नमाज़ और फर्ज नमाज़ मे क्या फर्क है,


दोस्तों फर्ज नमाज़ वो है जो हमे किसी भी हाल मे क़ज़ा नहीं करनी है ( मतलब उसे छोड़ना नहीं है ) जैसे कि (1) फजर की नमाज़, (2) जोहर की नमाज़, (3) असर की नमाज़, (4) मगरीब की नमाज़, (5) ईशा की नमाज़ ये पाँच नमाज़ है जो हर बालिग मर्द और औरत पर फर्ज है, इसके छूट जाने से हमे बहुत गुनाह मिलता है,


और यही नाफिल नामज़ ऐसी नमाजे है जिनके छूट जाने पे कोई गुनाह नहीं मिलता अगर आप पढ़ेंगे तो सवाब हि मिलेगा लेकिन अगर आप नहीं पढ़ रहे तो आप गुनाह मे नहीं शामिल होंगे,


लेकिन कुछ लोग ये सोचते है कि तहज्जुद कि नमाज़ पढ़ लेंगे और बाकी फर्ज नमाज़ नहीं पड़ेंगे तो उन्हे गुनाह नहीं मिलेगा तो मेरे भाइयों और बहनों ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, अगर आपकी फर्ज नमाज़ मुकम्मल नहीं है तो आपकी नाफिल नमाज़ पढ़ने का कोई फायदा नहीं है, आप पहले आपकी जितनी फर्ज नमाज़ क़ज़ा हो गई है उन्हे पढ़ें, तो इस बात को अपने जहेन मे जरूर रखें।



तहज्जुद कि नमाज़ का वक़्त


तहज्जुद का वक़्त ईशा की नमाज़ के बाद से शुरू हो जाता है और फजर से पहले तक अदा कि जा सकती है, बहुत से लोगो को इसके वक़्त के बारे में नही पता होता। आप ईशा कि नमाज़ के बाद कभी भी तहज्जुद की नमाज़ अदा कर सकते है। लेकिन दोस्तो तहज्जुद की नमाज़ रात के आखरी हिस्से में अदा करना अफ़ज़ल है, क्योंकि

हदीसों से मालूम होता है की रात के आखिरी हिस्से में अल्लाह तआला अपने पूरे लुत्फो करम और अपनी ख़ास शाने रहमत के साथ अपने बन्दों की तरफ मुतवज्जेह होते हैं।

इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि नमाज़ रात के आखिरी हिस्से में अदा करें। अगर किसी को लगता है कि वह सोने के बाद उठ नही पाएंगे तो उनके लिए बेहतर है, तहज्जुद अदा कर के सोए।


तहज्जुद की नमाज की रकात कितनी होती है?


दोस्तों आप तहज़्जुद की नमाज़ में 8 या फिर आप 12 रकात भी पढ़ सकते है लेकिन आपको 2-2 रकात करेके हि पढ़नी है।

दोस्तों तहज़्जुद की नमाज़ कि रकात के बारे मे आप ये समझ सकते है कि हमारे प्यारे नबी हुज़ूर सलल्लाहो अलैहि वसल्लम ज्यादा तर 8 रकात कि तहज़्जुद कि नाफिल नमाज़ पढ़ते थे तो हमे भी कोशिश करनी चाहिए कि हम भी हुज़ूर कि इस सुन्नत को अदा करें,

दोस्तों आपको 2 – 2 रकात करके हि पूरी 8 रकात नामज़ पढ़नी है, इसी तरह आप तहज़्जुद कि नमाज़ पड़ेंगे लेकिन अगर आप सिर्फ 2 रकात नमाज़ पढ़ते है, तो भी आपकी तहज़्जुद कि नमाज़ हो जाएगी।


तहज्जुद की नमाज की नियत कैसे करें?


दोस्तों आप तहज्जुद की नियत बिलकुल उसी तरह करेंगे जैसे सारे नमाज़ों की नियत कि जाती है।

आप इस तरह नियत करेंगे, आप कहेंगे “नियत कि मैंने 2 रकात नमाज नफील तहज्जुद वास्ते अल्लाह-त-आला के रुख मेरा काबा शरीफ कि तरफ अल्लाहु अकबर।” ये कहते हुए आप नियत बांध लेंगे।


Note: दोस्तों नियत जुबान से बोल कर करना जरूरी नहीं है। आप अपने मन मे केह लेंगे तो भी आपकी नियत हो जाएगी।



जानिए तहज़्जुद की नमाज़ का तरीका | 


दोस्तों अब जानते है कि तहज्जुद की नमाज़ कैसे पढ़े आपको बता दूँ कि ये नमाज़ भी बिल्कुल उसी तरह आपको पढ़नी है जिस तरह आप बाकी नमाज़ पढ़ते है फिर चाहे वो असर की नमाज़ हो या फिर ईशा की नमाज़


आपको सबसे पहले वुजू करना होगा 

फिर आपको नामज़ के लिए खड़े होना है और नियत करनी है, नियत कैसे करना है मैंने ऊपर आपको बताया है, फिर आप नियत करने के बाद सना पड़ेंगे और अऊज़ुबिल्लाही मिनाश सैतानिर्रजिम बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ेंगे फिर इसके बाद आप सूरह फातिहा पड़ेंगे और कोई सूरह या आयत पड़ेंगे और आप रुकु और सिजदा करेंगे जैसे आप दूसरी नमाज़ मे करते है।


बस आपको ऐसे हि 2 रकात नमाज़ पूरी करनी है और फिर इसी तरह और 2 रकात नमाज़ पढ़नी है, अगर आप 8 रकात पढ़ना चाहते है तो आप 2-2 करके 8 रकात पड़ेंगे।


तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि अब आपको मालूम हो गया होगा कि तहज्जुद की नमाज कैसे पढ़े ।


तहज्जुद की नमाज़ के फायदे


दोस्तों इस नमाज के कई फायदे है ये नामज़ ऐसी नमाज़ है जो रात के तनहाई मे पढ़ी जाती है, और आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप इस नमाज़ मे अल्लाह से खूब गिड़ गिड़ाए और रोए और अपने गुनाहों कि माफी मांगे क्यूकि अल्लाह आपकी इस वक्त जरूर सुनते है, हमारे प्यारे नबी हुज़ूर सलल्लाहो अलैहि वसल्लम इस नमाज़ मे अल्लाह से खूब दुआ करते है थे और बहुत लंबी लंबी नमाजे पढ़ते थे,


हजरत आयशा रजि अल्लाह ताला. फरमाती है कि – अल्लाह के रसूल सलल्लाहो अलैहि वसल्लम जब तहज्जुद कि नमाज़ मे सिजदे मे जाते थे तो इतने लंबे सिजदे किया करते थे कि कोई 50 अयात उस वक्त मे पढ़ सकता था, और हुज़ूर फजर की नमाज़ से पहले 2 रकात सुन्नत नमाज़ भी पढ़ते थे और फिर अपने दाहिनी ओर लेट जाते थे जब तक कि फजर कि अजान नहीं होती थी।


Reference: Sahih al-Bukhari 1123


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