फर्ज़ नमाज़ के बाद कि दुआएं हिंदी में | Farz Namaz Ke Baad Ki Dua Hindi Mein

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फर्ज़ नमाज़ के बाद कि दुआएं हिंदी में | फ़र्ज़ नमाज़ के बाद की दुआ हिंदी में






अस्सलामु अलैकुम दोस्तों मेरा नाम है अरशद हुसैन और आज हम इस लेख में कुछ दुआएं सिखाते हैं जो फर्ज़ नमाज़ के बाद पढ़ी जाती हैं।

ये दुआएं सलाम फेरने के बाद पढ़ी जाती हैं। हदीसों में इन दुआओं कि बहुत सारी सारी फजीलतें ने बयान दिया है। मैंने आपकी आसानी से सभी दुआओं के साथ हदीस नंबर बुक के नाम के साथ लिखा है।

दुआएं हदीसों के साथ लिखते हैं तो ये पोस्ट क्लाँग हो जाता है।

अगर फिर भी कोई परेशानी आती है तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं। और अगर कोई गलती हो जाती है तो आप मुझे निश्चित रूप से बताएं कि उसे सुधार दिया जाएगा या डिलीट कर दिया जाएगा। 



उर्दू में आम तौर से “ज़िक्र” और “दुआ” में फ़र्क़ नहीं किया जाता और “ज़िक्र” को भी “दुआ” ही के नाम से याद किया जाता है। हालांकि दोनों में फ़र्क़ है “ज़िक्र” से मुराद ऐसे अल्फ़ाज़ जिन में अल्लाह तआला की हम्द व सना बयान की जाए और “दुआ” से मुराद ऐसे अल्फ़ाज़ जिनमे बंदा अल्लाह से कुछ मांगे। बेहर हाल कभी कभी दोनों लफ्ज़ एक दूसरे की जगा पर इस्तेमाल होते है लेकिन दोनों में फ़र्क़ है, यहां मेने भी दुआ का  ही लफ्ज़ इस्तेमाल किया है। ताकी आपको आसानी हो।


नोट: किसी भी दुआ को पढ़ने से पहले अऊजुबिल्लाही मिनाश सातानिर्रजिम बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़े।


6 कलमा हिंदी में|पड़ने के लिए क्लिक करें। 





1. (पहली दुआ) नमाज़ के बाद की दुआ


اللَّهُ أَكْبَرُ


हिंदी में : अल्लाहु अकबर 


प्रयोगसूमा: अल्लाह सब से बड़ा है


(सही बुख़ारी 842)



2.(दूसरी दुआ) नमाज के बाद की दुआ।


أَسْتَغْفِرُ اللهَ , أَسْتَغْفِرُ اللهَ , أَسْتَغْفِرُ اللهَ


हिंदी में दुआ: असतग़ फ़िरुल्लाह, असतग़ फ़िरुल्लाह, असतग़ फ़िरुल्लाह [3 बार] 


प्रयोगुमा: में अल्लाह से बख्शश तलब करता हूं, में अल्लाह से बख्शश तलब करता हूं, में अल्ला से बख्शश तलब करता हूं


(मुसलिम 591)


3. (तीसरी दुआ) नमाज़ के बाद की दुआ।


اَللّٰهُمَّ أَنْتَ السَّلَامُ وَمِنْكَ السَّلَامُ, تَبَارَكْتَ ذَا الْجَلَالِ وَالْإم


हिंदी में दुआ: अल्हुम्म अंतस्सलाम व मिनकस्सलाम, तबारकत या ज़ल्ज़लालि वल इकराम 


प्रयोगसूमा: एक अल्ला तू सलामती वाला है और तेरी तरफ सलामती है, तू बा बरकत है ए बुज़रुगी और इज़्ज़त वाले


(मुसलिम 591)


4.(चौथी दुआ) नमाज के बाद की दुआ।


سُبْحَانَ اللّٰهِ (33)۔ الْحَمْدُ لِلّٰهِ (33)۔ اللّٰهُ أَكْبَرُ (34


हिंदी में: सुबहानल्लाह (33) अल्हम्दुलिल्लाह (33) अल्लाहु अकबर (34) 


तर्जुमा: अल्लाह पाक है, सारी तारीफें  अल्लाह के लिये है, अल्लाह सब से बड़ा है


(मुसलिम 596)



या फ़िर ये पढ़े


سُبْحَانَ اللّٰهِ (33)۔ الْحَمْدُ لِلّٰهِ (33)۔ اللّٰهُ أَكْبَرُ (33)

(1) لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ


हिंदी में दुआ: सुबहानल्लाह (33) अल्हम्दुलिल्लाह (33) अल्लाहु अकबर (33)


हिंदी में: ला इलाह इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीक लहु, लहुल मुल्कु वलहुल हम्दु वहुव अला कुल्लि शैइन क़दीर (1 बार पढ़े 100 मर्तबा पूरा करने के लिए)



तर्जुमा: अल्लाह पाक है, सारी तारीफें अल्लाह के लिये है, अल्लाह सब से बड़ा है

तर्जुमा: अल्लाह के इलावा कोई सच्चा माबूद नहीं वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं, उसी के लिए बादशाहत है, और उस के लिये ही सारी तारीफें है। और वह हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है


(मुसलिम 597)



कोशिश करें कि कुरआन को अरबी में सीखें क्यूंकि अरबी में तलफ्फुस कि अदायगी बहुत जरूरी है, अगर आप किसी आयत या दुआ को हिंदी में गलत तलफ्फुस के साथ पढ़ते है,तो उसका मतलब अरबी में बदल जाता है। 

कहने का मकसद यह है, अगर आप हिंदी में भी पड़ रहे है तो तलफ्फुस पर ध्यान जरूर दे। अगर आपकी हिंदी अच्छी है तो आपको दिक्कत नही होगी। इंशाहाल्लाह।




5.(पांचवीं दुआ)नमाज़ के बाद की दुआ।


لاَ إِلَهَ إِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لاَ شَرِيكَ لَهُ، لَهُ المُلْكُ، وَلَهُ الحَمْدُ، وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ، اللّٰهُمَّ لاَ مَانِعَ لِمَا أَعْطَيْتَ، وَلاَ مُعْطِيَ لِمَا مَنَعْتَ، وَلاَ يَنْفَعُ ذَا الجَدِّ مِنْكَ الجَدُّ


हिंदी में:  ला इलाह इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीक लहु, लहुल मुल्कु، वलहुल हम्दु، वहुवा अला कुल्लि शैइन क़दीर، अल्लाहुम्म ला मानिआ लिमा अ’अ तै-त, वला मुअ-तिया लिमा मनात, वला यनफ़ऊ ज़लजददि मिनकल जददु 


तर्जुमा: अल्लाह रब्बुल आलमीन के इलावा कोई भी इबादत के लायक नहीं, वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं, और उसी के लिये सभी तारीफ़ात है, और वह हर चीज़ पर क़ादिर है। ए अल्लाह तू जो चीज़ दे उसे कोई रोकने वला नहीं और जिस चीज़ को तू रोकले उस चीज़ को कोई देने वला नहीं और किसी कोशिश करने वाले की कोशिश तेरे मुक़ाबले में फायदामंद नहीं।


(बुख़ारी 844)




6.(छटी दुआ)नमाज़ के बाद की दुआ।


اللّٰهُمَّ أَعِنِّي عَلَى ذِكْرِكَ، وَشُكْرِكَ، وَحُسْنِ عِبَادَتِكَ


हिंदी में दुआ: अल्लाहुम्म अ-इन्नी अला ज़िकरिक व शुकरिक व हुसनि इबादतिक 


तर्जुमा: ए अल्लाह अपना ज़िक्र करने, शुक्र करने और अच्छे अंदाज़ में तेरी इबादत करने में मेरी मदद फ़रमा।


(अबू दाऊद)



7.(सातवी दुआ) नमाज़ के बाद की दुआ।


لَا إِلٰهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ، لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللهِ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ، وَلَا نَعْبُدُ إِلَّا إِيَّاهُ، لَهُ النِّعْمَةُ وَلَهُ الْفَضْلُ، وَلَهُ الثَّنَاءُ الْحَسَنُ، لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ مُخْلِصِينَ لَهُ الدِّينَ وَلَوْ كَرِهَ الْكَافِرُونَ


हिंदी में:  ला इलाह इल्लल्लाहु वहदहु ला शरी-क लहु, लहुल मुल्कु व लहुल हम्दु व हुव अला कुल्लि शैइन क़दीर, ला हौ-ल वला क़ुव्वत इल्ला बिल्लाहि, ला इलाह इल्लल्लाहु, व ला नअ-बुदु इल्ला इय्याहु, लहुन निअ-मतु व लहुल फ़ज़लु, व लहुस सनाउल ह-सनु, ला इलाहा इल्लल्लाहु मुख्लिसीना लहुद्दीना वलौ करिहल काफ़िरून 


तर्जुमा: अल्लाह के इलावा कोई सच्चा माबूद नहीं वह एकेला है उसका कोई शरीक नहीं, उसी के लिये बादशाहत है, और उस के लिये तमाम तारीफ़ात और वह हर चीज़ पर क़ादिर है, अल्लाह की तौफ़ीक़ और मदद के बगैर, गुनाह से बचने की ताक़त और नेकी करने की क़ुव्वत नहीं, अल्लाह के इलावा कोई सच्चा माबूद नहीं, हम उस की इबादत करते हैं, उसी के लिये फ़ज़्ल है और बेहतरीन तारीफ़ उसी के लिये है, अल्लाह के इलावा कोई सच्चा माबूद नहीं, हम उसी के लिये इबादत को ख़ालिस करने वाले हैं अगरचे काफ़िरों को ना पसंद हो।


(मुस्लिम 594)


8.(आठवी दुआ) नमाज़ के बाद की दुआ

 

اَللَٰـهُ لَا إِلٰـٰهَ إِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ ۚ لَا تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلَا نَوْمٌ ۚ لَّهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْ‌ضِ ۗ مَن ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِندَهُ إِلَّا بِإِذْنِهِ ۚ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ ۖ وَلَا يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِّنْ عِلْمِهِ إِلَّا بِمَا شَاءَ ۚ وَسِعَ كُرْ‌سِيُّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْ‌ضَ ۖ وَلَا يَئُودُهُ حِفْظُهُمَا ۚ وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ


आयातुल कुर्सी हिंदी में: अल्लाहु लाइला-ह इल्ला हुवल हय्युल क़य्यूम, ला त’अ खुज़ुहु सिनतुव वला नौम, लहु मा फ़िस-समावाति वल अर्ज़, मन ज़ल्लज़ी यशफ़उ इन्दहु इल-ल बि-इज़निह, य’अ-लमु मा बैना अैदीहिम वमा ख़ल्फ़हुम, वला युहीतू-न बिशैइम मिन इलमिहि इल-ल बिमा शाअ, व सिआ कुर सिय्युहुस समावाति वल अर्ज़, व-ल यऊदुहु हिफ़्ज़ुहुमा, व-हुवल अलिययुल अज़ीम, 


तर्जुमा: अल्लाह/ खुदा जिसके बिना किसी का भी ममुद (अस्तित्व) नहीं है।

जो भी इस कायनात में आया है, उसे तो एक न एक दिन जाना ही है, परन्तु खुदा हमेशा से अस्तित्व में था, और हमेशा अस्तित्व में रहेगा।

वह हमेशा जगा रहता है, उसे न नींद आ सकती है, न ऊंघ आ सकती है।

जो कोई भी इस कायनात में है, सब उसी का है, जमीन भी उसी की है, और पूरा आसमान भी खुदा का है।

कायनात में ऐसा कोई नहीं जो, खुदा की बिना इजाजत के कुछ भी कर सके।

खुदा ही एक ऐसा है, जो सब कुछ जानता है, खुदा उसको भी जनता है, जो उसके सामने है, और उसको भी जानता है, जो गायब या ओझल है।

खुदा के बनाए गए नियमों के खिलाफ कोई नहीं जा सकता,

जितना भी है, उसका मालिक एक ही है, खुदा। वही सारी जमीन और आसमान का मालिक है।

वही हर किसी की हिफाजत करता है।

खुदा ही एक ऐसी जात है, जो बहुत ही बुलंद है।


(अल-बक़रह 255)


9.(नौवीं दुआ) नमाज़ के बाद की दुआ।


اللّٰهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الجُبْنِ، وَأَعُوذُ بِكَ أَنْ أُرَدَّ إِلَى أَرْذَلِ العُمُرِ، وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ فِتْنَةِ الدُّنْيَا، وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ عَذَابِ القَبْرِ


हिंदी में दुआ  अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ुबिका मिनल जुबनि, व अऊज़ु बिका अन अरद्दा इला अर्ज़लिल उमुरि, व अऊज़ु बिका मिन फ़ितनतित दुन्या, व अऊज़ुबिका मिन अज़ाबिल क़बरि, 


तर्जुमा: ए अल्लाह मैं बुज़दिली और कंजूसी से तेरी पनाह चाहता हूं, और में ज़िल्लत (बुढ़ापे) की ज़िंदगी की तरफ़ लौटाए जाने से तेरी पनाह चाहता हूं, और दुनिया के फ़ितने से तेरी पनाह मांगता हूं और अज़ाबे क़ब्र से तेरी पनाह मांगता हूं।


(बुख़ारी 2822)


10.(दसवीं दुआ) फ़जर की नमाज़ के बाद दुआ।


اللّٰهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ عِلْمًا نَافِعًا، وَرِزْقًا طَيِّبًا، وَعَمَلًا مُتَقَبَّلًا


हिंदी में दुआ: अल्लाहुम्म इन्नी अस-अलु-क इल्मन नाफ़िआ, व रिज़क़न तय्यि-ब, व अ-म-लम मु-त-कब्ब-ल 


तर्जुमा: ए अल्लाह में तुझसे नफ़ा मंद इल्म, पाकीज़ा रिज़्क़ और मक़बूल अमल का सवाल करता हूं।


(सहीह इब्ने माजह)


11.(ग्यारहवीं दुआ) मग़रिब के   बाद कि दुआ।


لا اله إلا الله وحده لا شريك له، له الملك، وله الحمد، يحيى ويميت، بيده الخير، وهو على كل شيء قدير


हिंदी में: ला इलाह इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीक लहु, लहुल मुल्कु व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु बियदिहिल खैर व हुव अला कुल्लि शैइनक़दीर [10 मरतबा पढ़े] 


तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और इबादत के लायक सिर्फ अल्लाह है और वह एक है, और अल्लाह का कोई शरीक नहीं, सब कुछ अल्लाह का है, और सारी तारीफ़ें सिर्फ अल्लाह के हि लिए है, और अल्लाह हि जिलाता और वही मारता है, और अल्लाह जिन्दा है, और अल्लाह को कभी मौत नहीं आएगी, अल्लाह बड़े जलाल वाला और बुजुर्गी वाला है, अल्लाह के हाथ में हर तरह कि भलाई है और वोह हर चीज़ पे क़ादिर है।


(तिर्मिज़ी 3534)


 

12.(बारहवीं दुआ) वित्र के बाद की दुआ।

 

سُبْحَانَ الْمَلِكِ الْقُدُّوْسِ


हिंदी में:  सुबहानल मलिकिल क़ुद्दूस [तीन मरतबा पढ़े तीसरी बार बुलंद आवाज़ से पढ़े] 


तर्जुमा: पाक हे (मेरा रब) बादशाह निहायत मुक़ददस 


(अबू दावूद 1430)



Conclusion


दोस्तों मुझे उम्मीद है, कि आपको नमाज़ के बाद कि दुआओं के बारे में काफ़ी जानकारी मिली होगी।अगर ये पोस्ट आपको Informative लगे तो इसको अपने दोस्तों के साथ भी share करें ताकी वो भी इस पोस्ट से फ़ायदा उठा सके,और आपको और मुझे भी सवाब मिल सके।

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इंशाअल्लाह हम रोज़ कुछ न कुछ अपडेट करेंगे।

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जल्द ही मुलाक़ात होगी नई इनफॉर्मेटिव पोस्ट में।

जबतक अपना और अपने गिरदोह नवाह के लोगो का ख्याल रखिए।

अस्सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातहू।

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